Saturday, 10 October 2015

जमाना 'वफादार' नहीं
तो फिर क्या हुआ...
'धोखेबाज' भी तो हमेशा
अपने ही होते हैं !
ना उसने मुड़ कर देखा,
ना हमने पलट कर आवाज दी.
एक अजिब सा वक्त था ,
जिसने हम दोनो को पत्थर बना दिया..!!
जिनका मिलना मुक्कदर में नही लिखा होता
" उनसे "
"मोहब्बत" कसम से
कमाल की होती है
मतलब" बड़े भारी होते हैं।
निकलते ही "रिश्तों" का वजन कम कर देते हैं! 😕😕
नाराज़गी अपनेपन की निशानी है
बेवजह नहीं,बस उम्मीदों की कहानी है
रिश्ते होते है वही बड़े खास
शिकायतों की जहाँ रवानी है

Wednesday, 7 October 2015

“One man may read the Bhagavata by the light of a lamp, and another may commit a forgery by that very light; but the lamp is unaffected. The sun sheds its light on the wicked as well as on the virtuous.”
― Ramakrishna, Sayings of Sri Ramakrishna
Man is to become divine by realizing the divine. Idols or temples, or churches or books, are only the supports, the help of his spiritual childhood.