Friday, 8 April 2016

रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो
तो भी एक अच्छा जूता पहनकर
उस पर चला जा सकता है..

लेकिन यदि एक अच्छे जूते
के अंदर एक भी कंकड़ हो तो
एक अच्छी सड़क पर भी
कुछ कदम भी चलना मुश्किल है ।।

यानी –
‘बाहर की चुनोतियों से नहीं
हम अपनी अंदर की कमजोरियों
से हारते हैं ”
एक सच्चाई ये भी है की अगर ज़िन्दगी इतनी अच्छी है तो हम इस दुनिया में रोते हुए क्यों आते है ?
करते है मोल भाव भगवान
की मूर्ति खरीदते वक़्त ,

और फिर उसी मूर्ति से घर में
करोडो मांगते है… !!!

ये नादानी भी,
सच मे बेमिसाल है…!

अंधेरा दिल मे है,
और दिये मन्दिरों मे जलाते हैं.!
इंसान भी कितना अजीब है दोसती भी करता है ये सोच कर की दोसत मुशिकल समय मे मेरा साथ देगा
एक धरना तेरे इश्क़ के लिए भी होना चाहिए,
नाइंसाफी तो हमारे साथ भी हुई है !!

“To lose one parent may be regarded as a misfortune; to lose both looks like carelessness.” 
jindagi guzar rhi hai kuch aise dor se, 

log hal chal bhi puche to tana sa lage.......................