Wednesday, 13 April 2016

मेने एक बुजुर्ग से पूछा....आज के समय में सच्ची इज्जत किसकी होती है बुजुर्ग ने जवाब दिया..इज्जत किसी इंसान की नहीं होती, जरुरत की होती है""जरुरत ख़त्म तो इज्जत ख़त्म!""
jinme akele chalne ke hosle hote, 

ek din unke piche hi kafile hote hai
काश…!! एक खवाहिश पूरी हो इबादत के बगैर…!!! वो आ कर गले लगा ले…..मेरी इजाजत के बगैर
बुरे वक़त में ही सबके असली रंग दिखते हैं … दिन के उजाले में तो पानी भी चांदी लगता है।
तुझमें और मुझमे फर्क सिर्फ इतना सा है कि,
तेरा कुछ कुछ हूँ मैं और मेरा सब कुछ है तू।
फिक्र तो तेरी आज भी करते हैं...
बस जिक्र करने का हक ना रहा..
भगवान प्यार सबको देता है,
दिल भी सबको देता है,
दिल में बसने वाला भी देता है,
पर, 
दिल को समझने वाला नसीब वालो को ही देता है