Is Qadar Keemti To Na Tha Mera Chain-o-Sukoon, Loot Ker Lay Gaya Wo Kisi Anmol Khazaney Ki Tarah..!
Zazbaat kuch bhi hon mauka koi bhi ho, Ab dil ko tere rone ya hansne se faraq koi parhta nahi, Jis dil ko teri parvaah thi kabhi, Ab kho gya teri tarah virane mein vo bhi kahin.
Saturday, 19 September 2015
fact of life; khusiyo mein logo se pehchan hoti hai, or pareshaniyo mein logo ki pehchan hoti hai,
Monday, 14 September 2015
Jo waqt ki aag mein jalte hai
Wo pathar heere bankr nikalte hai,
Mks
Tasvire bhi ye kya khoob hoti hai. Beet gaye jo pal unki sawoot hoti hai, Kabhi chere par muskan kabhi ankho ko nami ki bjah hoti hai ye tasvire Ye tasvire bhi kya khoob hoti hai,
मैं तो एक मुसाफिर, तेरे नूर का दीवाना हूँ,
कर ले यकीन एक बार मेरा, तेरा मैं ही परवाना हूँ !
जलता हूँ दिन रात आग में, तड़प शिकन सब भूल गया,
जीवन बस एक आग सा लगता, मैं जीना भी भूल गया,
तेरे शौक का मारा -२ , तेरा मैं ही एक किनारा हूँ !!
मैं तो एक मुसाफिर ...
प्यार –मुहब्बत खेल नहीं है, जीके सितम सब सीख लिया,
अँधियारे कमरे के भीतर, रोना मैंने सीख लिया,
कह दे दिल की जुबानी -२ , तेरा मैं ही एक सहारा हूँ !!
मैं तो एक मुसाफिर ...
डर न रहा अब ज़माने का, वक़्त नहीं आज़माने का,
ख़्वाब यूं बुनता रहता हूँ, एक- झलक मिल पाने का
प्यार की कोई शर्त नहीं-२ , फिर मैं क्यों बेगाना हूँ !!
मैं तो एक मुसाफिर ...
वो ख़त निशानी, मेरे चिराग़ थे, जिन्हे शौक से तूने बुझा दिया |
वो इश्क़, वो बेखुदी की दौलतें, जिन्हे अश्क़ बहकर भी, सँजोया था, वो नशे में तनहाई की सिसकियाँ, जिनमें मेरा ज़मीर भी रोया था, वो मंज़र वीरानी, मेरे ख्वाब थे, जिन्हे शौक से तूने मिटा दिया |वो ख़त निशानी ...
तू हुई भी रुख़सत, उन के लिए, जिन्हे कुबूल मेरे सबब न था, तूने साबित बेवफा, मुझको किया, फ़ितरत-ए-वफ़ा का तुझको इल्म न था, एक महक किताब के गुलाब में थी, जिन्हे शौक से तूने भुला दिया | वो ख़त निशानी...
वो वक़्त, जवानी , मेरे फ़िराक़ थे, जो तूने मिटाये, मेरे ताज़ थे, मेरा एक सिक्का, दौलत-ए-कुबूल का, तेरे बटुए में रहता था सदा, वो खास सिक्का मेरे प्यार का, सरे बाज़ार तूने चला दिया | वो ख़त निशानी ..