सलवट तरसी, मेहंदी तरसी,
तरसा मोरा बावरा मन,
मीठी तसल्ली फीकी लागे,
फीकों भयो मेरो सँवारो रंग !
तरसा मोरा बावरा मन,
मीठी तसल्ली फीकी लागे,
फीकों भयो मेरो सँवारो रंग !
रास ज्यौं तरसे चितवन- छापरी
जौवन भर भर घूंट पिये है,
मोर बाग में नाच अकेले,
मोरनी हिय पाषाण लिए है !
जौवन भर भर घूंट पिये है,
मोर बाग में नाच अकेले,
मोरनी हिय पाषाण लिए है !
रोज देहरी बाट जोहत हूँ,
बिन पलकन झपकाए,
झूला पींग बढ़े न सावन,
पल पल जीय घबराए !
बिन पलकन झपकाए,
झूला पींग बढ़े न सावन,
पल पल जीय घबराए !
मन की पीर कूँ मन समझे है,
तन की पीर कूँ जाने सावन,
आँगन के दो फूल बिछड़ गए,
नजरा गयो जोड़ा मन-भावन !
तन की पीर कूँ जाने सावन,
आँगन के दो फूल बिछड़ गए,
नजरा गयो जोड़ा मन-भावन !
पिछले बरस जो रूठी सजना,
पायलिया दे, मोहे मना लियो,
अबके बरस न कछु कहूँगी,
बिछुआ से मन हटा लियो !
पायलिया दे, मोहे मना लियो,
अबके बरस न कछु कहूँगी,
बिछुआ से मन हटा लियो !
ऐसों आकुल बृज मण्डल है,
प्राण भरो तुम आइके,
वैसे बनते फिरत हो छैला,
फिर मुरली मनोहर काइके !!
प्राण भरो तुम आइके,
वैसे बनते फिरत हो छैला,
फिर मुरली मनोहर काइके !!
ritesham shastri
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