गौरय्या
प्रातः मंत्र सा कलरव करती,
कुछ तिनके बिखेरती आँगन में,
भाभी के संग बातें करती,
बहुत चहचहाती थी सावन में,
कुछ तिनके बिखेरती आँगन में,
भाभी के संग बातें करती,
बहुत चहचहाती थी सावन में,
एक जोड़ा घर-घर बसता था,
सारा दिन बस घौंसला सजता था,
वो बहस चिरोंटे से करती,
उसको बस अपना काम ही जचता था,
सारा दिन बस घौंसला सजता था,
वो बहस चिरोंटे से करती,
उसको बस अपना काम ही जचता था,
थोड़ी धूप भी थी उसकी,
थोड़ा आसमान भी था उसका,
घर के अनाज में था एक अनकहा हिस्सा,
ये था मेरी गौरय्या का किस्सा !
थोड़ा आसमान भी था उसका,
घर के अनाज में था एक अनकहा हिस्सा,
ये था मेरी गौरय्या का किस्सा !
ritesham shastri
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