"ध्यान"
चलो ओर 'उर' ले चले जहाँ,
क्षैतिज दिशा की ओर,
भीनी सुगंध उठे धरा से,
चिड़िया हों चहुं ओर !जहाँ प्रकाश हो नित्य पुञ्ज का,तरु छाया हो अमृत,ध्यान ईश, निराकार ब्रह्म का,मिटे दोष दुःख अनृत !
चलो ओर 'उर' ले चले जहाँ,
क्षैतिज दिशा की ओर,
भीनी सुगंध उठे धरा से,
चिड़िया हों चहुं ओर !जहाँ प्रकाश हो नित्य पुञ्ज का,तरु छाया हो अमृत,ध्यान ईश, निराकार ब्रह्म का,मिटे दोष दुःख अनृत !
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