कोई अंधड़ रेतीला सा कल,
मेरी आँखों को धुंधला गया |
मेरी आँखों को धुंधला गया |
मैंने सब्र से मेघ बाट-जोही थी,
खारे-आब से देह भिगोई थी,
कुछ राहत घाम से मिली मगर,
जाने क्या याद दिला गया !
कोई अंधड़ रेतीला....
खारे-आब से देह भिगोई थी,
कुछ राहत घाम से मिली मगर,
जाने क्या याद दिला गया !
कोई अंधड़ रेतीला....
मुझे इश्क़-आंधी दिन वो याद आए,
जब तेरे दुपट्टे से आँख छिपाई थी,
वो बड़ी बूंद बरसता बादल मुझे,
भीतर तक रुला गया,
जब तेरे दुपट्टे से आँख छिपाई थी,
वो बड़ी बूंद बरसता बादल मुझे,
भीतर तक रुला गया,
कोई अंधड़ रेतीला सा कल,
मेरी आँखों को धुंधला गया |
मेरी आँखों को धुंधला गया |
ritesham shastri
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